हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य के वृद्ध आश्रमों में मूलभूत सुविधाएं ने देने पर कड़ा संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश एल नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ कि खंडपीठ ने शिमला, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पीति के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को आदेश दिए कि वे अपने-अपने जिला में वृद्ध आश्रमों का निरीक्षण करें और दो सप्ताह के भीतर अदालत के समक्ष रिपोर्ट पेश करें।
अदालत ने आदेश दिए हैं कि वृद्ध आश्रमों का निरीक्षण करते बारे रिपोर्ट में लिखें कि क्या इन वृद्ध आश्रमों में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने बारे आवश्यक कदम उठाए गए हैं या नहीं। राज्य के अधिकारियों के दृष्टिकोण पर गंभीर चिंता जताते हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि इस तरह के एक संवेदनशील मुद्दे राज्य सरकार के अधिकारिओं को लचर कार्यप्रणाली नहीं अपनानी चाहिए।
खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि वे शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताये कि हिमाचल प्रदेश में तकरीबन कितने वृद्ध हैं, जिन्हें वृद्ध आश्रम की जरूरत है। अदालत ने राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए थे कि प्रदेश के सभी जिलों में वृद्ध आश्रम बनाए जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाये जा रहे हैं। मामले कि सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि प्रदेश के पांच जिलों में सात वृद्ध आश्रम पूरी तरह से कार्य कर रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा शीघ्र ही सात अन्य वृद्ध आश्रम खोले जाने बारे केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। अदालत को बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (भारत) की ओर से जारी आंकड़ों और वर्ष 2011 में जनगणना के मुताबिक प्रदेश उच्चतम वरिष्ठ नागरिक कि श्रेणी में देश का चौथा राज्य है। अदालत को बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में 7 लाख व्यक्तियों की जनसंख्या है जिनकी आयु 60 वर्ष और उससे अधिक है। जो राज्य की कुल जनसंख्या का 10.2 फीसदी है और राष्ट्रीय औसत 8.6 फीसदी से अधिक है।