पूर्व मंत्री नवजोत सिद्धू ने सोनिया गांधी और प्रियंका वाड्रा गांधी के साथ मुलाकात कर उनके सामने पंजाब के विकास का रोडमैप रखकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सिद्धू ने आलाकमान को यह बताने की कोशिश की है कि कैप्टन सरकार जिस रोडमैप के आधार पर चल रही है, वह पंजाब के हित में नहीं है। सिद्धू ने यह भी दावा किया कि वह इस रोडमैप को मंत्रीमंडल और लोगों के सामने भी रखते रहे हैं।
जब वह इस रोडमैप की मंत्रीमंडल की बैठकों में चर्चा करते थे, तो क्या कैप्टन इसकी अनदेखी करते थे और बाकी मंत्रिमंडल सहयोगियों की इस रोडमैप के बारे में क्या विचार थे, इस बात का खुलासा सिद्धू ने कभी नहीं किया। सिद्धू ने यह भी दावा किया है कि अपने सार्वजनिक जीवन में उन्होंने इस रोडमैप को लोगों के सामने रखा है। सिद्धू ने सोनिया और प्रियंका के सामने कौन सा रोडमैप रखा, इसकी उन्होंने कोई भी जानकारी नहीं दी।
सिद्धू अपने विधानसभा हलके के लोगों से बीते एक साल से बिल्कुल कटे हुए हैं। स्थानीय निकाय मंत्री के रूप में उन्होंने न तो गुरुनगरी और न ही अपने विधानसभा हलके के विकास के लिए कोई रोडमैप लागू किया। सिद्धू के स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उनके विभाग के विजिलेंस विंग ने अमृतसर नगर सुधार ट्रस्ट व नगर निगम अमृतसर से एक हजार से अधिक फाइलों को अपने कब्जे में लिया था। इन फाइलों में क्या किसी भ्रष्टाचार के सबूत थे, इस बात की जानकारी आज तक पंजाब सरकार नहीं दे पाई है।
आप में शामिल होने के प्रचार पर चुप्पी साध सिद्धू ने कई निशाने साधे
सिद्धू के आप में शामिल होने के बारे में किए जा रहे प्रचार पर पूरी तरह खामोशी धारण कर इस मामले को भुनाने की कोशिश भी की। वहीं सिद्धू के पक्ष में कुछ कांग्रेसी विधायकों ने बयान दिए कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सिद्धू की अनदेखी कांग्रेस का नुकसान कर सकती है। विधायक प्रगट सिंह द्वारा सोनिया गांधी को लिखे पत्र के पीछे भी नवजोत सिद्धू का हाथ होने की चर्चाएं रहीं।
कैप्टन के साथ राजनितिक छेड़छाड़ का जोखिम बड़ी चुनौती
सिद्धू से बैठक के बावजूद कांग्रेस आलाकमान कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ कोई भी छेड़छाड़ करने का राजनीतिक जोखिम नहीं उठा सकता। प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ की जगह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने का मतलब होगा कि आलाकमान कैप्टन को कमजोर करना चाहता है।
राजनीतिक स्तर पर अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही कांग्रेस के लिए पंजाब में कैप्टन के स्थान पर सिद्धू को एक नेता के रूप में आगे बढ़ाना जोखिम उठाने जैसा होगा। कैप्टन के पास अभी अधिकतर विधायकों का समर्थन है।