उत्तराखंड में प्रमोशन से रोक हटाने की मांग को लेकर जनरल ओबीसी कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल को लेकर सरकार हरकत में आ गई है। मुख्य सचिव ने उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन को पत्र लिखकर हड़ताल टालने की अपील की, लेकिन एसोसिएशन ने मुख्य सचिव की अपील को यह कहकर ठुकरा दिया कि प्रमोशन से रोक हटाए बिना अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस लेना संभव नहीं है।
जनरल ओबीसी कर्मचारियों की प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ बेमियादी हड़ताल से गैरसैंण में तीन मार्च से शुरू हो रहा विधानसभा का बजट सत्र प्रभावित हो सकता है। यह आशंका मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जताई है। उन्होंने कर्मचारी आंदोलन का नेतृत्व कर रही उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन से हड़ताल व धरना प्रदर्शन का फैसला स्थगित करने को कहा है।
सीएस का कहना है कि विधानसभा सत्र में बजट पास होना आवश्यक है। यदि सत्र के दौरान कोई बाधा पैदा होती है। तो इसका प्रदेश की योजनाओं के साथ कर्मचारियों के वेतन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। मुख्य सचिव ने एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी और प्रदेश महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसांई को बाकायदा पत्र लिखकर हड़ताल स्थगित करने को कहा है।
पत्र में उन्होंने एसोसिएशन के नोटिस का जिक्र किया है। मुख्यमंत्री को भेजे गए इस नोटिस में एसोसिएशन ने पदोन्नति में लगी रोक हटाने और सीधी भर्ती में लागू नए रोस्टर को बरकरार रखने को दो मार्च से सभी विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी निकायों में कार्यरत जनरल ओबीसी वर्ग के सभी कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की सूचना दी गई है।
मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि राज्य की विधानसभा का वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट सत्र तीन मार्च से गैरसैंण में बुलाया गया है। इसमें अगले वित्तीय वर्ष के सभी आय और व्यय को पास किया जाना अपरिहार्य है। यदि बजट सत्र में कोई बाधा उत्पन्न होती है तो इसका प्रदेश के विकास पर असर पड़ना स्वाभाविक है। उन्होंने एसोसिएशन को आश्वस्त किया कि कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर सरकार सकारात्मक रूप से कार्रवाई करने पर विचार करेगी।
जनरल ओबीसी कर्मचारियों की प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ बेमियादी हड़ताल से गैरसैंण में तीन मार्च से शुरू हो रहा विधानसभा का बजट सत्र प्रभावित हो सकता है। यह आशंका मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जताई है। उन्होंने कर्मचारी आंदोलन का नेतृत्व कर रही उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन से हड़ताल व धरना प्रदर्शन का फैसला स्थगित करने को कहा है।
सीएस का कहना है कि विधानसभा सत्र में बजट पास होना आवश्यक है। यदि सत्र के दौरान कोई बाधा पैदा होती है। तो इसका प्रदेश की योजनाओं के साथ कर्मचारियों के वेतन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। मुख्य सचिव ने एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी और प्रदेश महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसांई को बाकायदा पत्र लिखकर हड़ताल स्थगित करने को कहा है।
पत्र में उन्होंने एसोसिएशन के नोटिस का जिक्र किया है। मुख्यमंत्री को भेजे गए इस नोटिस में एसोसिएशन ने पदोन्नति में लगी रोक हटाने और सीधी भर्ती में लागू नए रोस्टर को बरकरार रखने को दो मार्च से सभी विभागों, निगमों, स्वायत्तशासी निकायों में कार्यरत जनरल ओबीसी वर्ग के सभी कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की सूचना दी गई है।
मुख्य सचिव ने पत्र में कहा है कि राज्य की विधानसभा का वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट सत्र तीन मार्च से गैरसैंण में बुलाया गया है। इसमें अगले वित्तीय वर्ष के सभी आय और व्यय को पास किया जाना अपरिहार्य है। यदि बजट सत्र में कोई बाधा उत्पन्न होती है तो इसका प्रदेश के विकास पर असर पड़ना स्वाभाविक है। उन्होंने एसोसिएशन को आश्वस्त किया कि कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर सरकार सकारात्मक रूप से कार्रवाई करने पर विचार करेगी।
प्रमोशन से रोक हटाए बिना हड़ताल वापस लेना संभव नहीं
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने मुख्य सचिव के पत्र का दो टूक जवाब दिया है कि जब तक सरकार प्रमोशन में लगी रोक को नहीं हटा लेती है, अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस लेना संभव नहीं है। एसोसिएशन ने कहा कि बेमियादी हड़ताल का फैसला कर्मचारियों की मांगों को लेकर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी सरकार ने प्रमोशन से रोक नहीं हटाई, इस कारण ये स्थिति पैदा हुई है।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी और प्रदेश महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसांई ने मुख्य सचिव को संबोधित पत्र में लिखा कि दो मार्च से बेमियादी हड़ताल किसी मांग को पूरा कराने के समर्थन में नहीं है। ये हड़ताल सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने और इसके आलोक में प्रमोशन पर लगी रोक के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर है।
पत्र में उन्होंने कहा, ‘जहां तक हड़ताल से बजट सत्र के प्रभावित होने से विकास योजनाओं और कर्मचारियों के वेतन देने पर विपरीत प्रभाव का प्रश्न है। तो ऐसा हमारा कोई उद्देश्य नहीं है। न ही विधानसभा सत्र को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बोर्ड परीक्षाओं की डयूटी पर तैनात शिक्षकों को हड़ताल से अभी दूर रखने का फैसला लिया गया है। उन्होंने लिखा है कि इस आंदोलन में हम सिर्फ अपने सामाजिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत हैं। जब तक पदोन्नति में लगी रोक को सरकार नहीं हटा लेती है तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस लेना संभव नहीं होगा।
एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी और प्रदेश महासचिव वीरेंद्र सिंह गुसांई ने मुख्य सचिव को संबोधित पत्र में लिखा कि दो मार्च से बेमियादी हड़ताल किसी मांग को पूरा कराने के समर्थन में नहीं है। ये हड़ताल सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने और इसके आलोक में प्रमोशन पर लगी रोक के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर है।
पत्र में उन्होंने कहा, ‘जहां तक हड़ताल से बजट सत्र के प्रभावित होने से विकास योजनाओं और कर्मचारियों के वेतन देने पर विपरीत प्रभाव का प्रश्न है। तो ऐसा हमारा कोई उद्देश्य नहीं है। न ही विधानसभा सत्र को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
बोर्ड परीक्षाओं की डयूटी पर तैनात शिक्षकों को हड़ताल से अभी दूर रखने का फैसला लिया गया है। उन्होंने लिखा है कि इस आंदोलन में हम सिर्फ अपने सामाजिक अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत हैं। जब तक पदोन्नति में लगी रोक को सरकार नहीं हटा लेती है तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल को वापस लेना संभव नहीं होगा।