जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार गुरुवार को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित रैली के दौरान राष्ट्रगान नहीं गा पाए। इसके कारण दोबारा राष्ट्रगान हुआ। 'संविधान बचाओ, नागरिकता बचाओ' रैली को संबोधित करते हुए कन्हैया ने सीएए को काला कानून बताया।
बता दें कि कन्हैया ने इस रैली को सबसे आखिरी में संबोधित किया। अपने भाषण को शुरू करने से पहले कन्हैया ने वहां मौजूद लोगों से राष्ट्रगान गाने की अपील की। जब लोग खड़े होकर राष्ट्रगान गाने लगे तब कन्हैया कुमार राष्ट्रगान की अंतिम की दो लाइनों को भूल गए।
रैली को संबोधित करते हुए कन्हैया ने सत्तारूढ़ भाजपा पर मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं को भड़काने का आरोप लगाते हुए लोगों से राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्ला खान की दोस्ती का अनुकरण करके उनके एजेंडे को हराने का संकल्प करने का आह्वान किया। कन्हैया ने बिहार विधानसभा में एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव पर भी नाखुशी जताई।
कन्हैया ने कहा कि सरकार और विपक्ष दोनों खुद को बधाई देने में व्यस्त हैं। मैं अपनी बधाई भी देता हूं। लेकिन उन सभी के लिए जो यहां मौजूद हैं, मैं कहूंगा कि यह आधी जीत है। जब तक एनपीआर की कवायद वापस नहीं ले ली जाती, हम गांधी के सविनय अवज्ञा से सबक हासिल कर अपने आंदोलन को विफल नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को अपने संबंधित पंचायत प्रमुखों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहना चाहिए कि जब एनपीआर को मई में निर्धारित किया जाना है, तो किसी भी एनपीआर अधिकारी को उनके अधिकार क्षेत्र में दस्तक देने की अनुमति नहीं है।
कन्हैया ने कहा कि हमें एक लंबी और कठिन लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। हम एक ऐसे शासन के तहत रह रहे हैं, जो डाक्टर कफील अहमद जैसे कर्तव्यनिष्ठ पेशेवरों को सलाखों के पीछे भेज देता है और उसके कार्यों पर सवाल उठाने पर किसी को भी राष्ट्र विरोधी घोषित कर देता है।
इस रैली में नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी, पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन और दिवंगत मार्क्सवादी नाटककार और निर्देशक सफदर हाशमी की बहन शबनम हाशमी शामिल थीं।