हरियाणाः 45 साल में 13 से 340 हुआ गन्ने का रेट, 19 साल में 1 पैसा नहीं बढ़ा, इस साल भी नहीं बढ़ेगा - DIGITAL MIRROR

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हरियाणाः 45 साल में 13 से 340 हुआ गन्ने का रेट, 19 साल में 1 पैसा नहीं बढ़ा, इस साल भी नहीं बढ़ेगा


 


गेहूं और धान के साथ-साथ हरियाणा गन्ने के उत्पादन के लिए भी महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। विडंबना है 45 साल में गन्ने का रेट कम रफ्तार से बढ़ा। कुछ साल ऐसे भी रहे, जब सरकारों ने गन्ना उत्पादकों को अच्छा रेट दिया। मगर कुल 19 साल ऐसे थे, जब सरकारों ने गन्ने के  रेट में एक पैसे की भी वृद्धि नहीं की। लगातार छह साल गन्ने की मीडियम वैराइटी के रेट सरकारों ने बिल्कुल नहीं बढ़ाए। इनमें कांग्रेस, इनेलो और भाजपा तीनों शामिल रहीं। अब भी पिछले दो वित्त वर्षों से गन्ने के रेट में बढ़ोतरी नहीं हुई है और इस साल बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।


 

सरकार ने बढ़ोतरी न करने के पीछे आर्थिक दिक्कतों समेत अन्य कारण गिनाए हैं। जिसमें बड़ा कारण है प्रदेश की सभी शुगर मिलों का लगातार घाटे में चलना। सदन में मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि प्रदेश के सभी चीनी मिलें घाटे में चल रही हैं। ऐसी स्थिति में गन्ने के रेट बढ़ाना फिलहाल संभव नहीं है। सीएम ने कहा कि हमारा फोकस है कि किसी तरह शुगर मिलों की वित्तीय स्थिति को ठीक किया जाए। इसके लिए हम शुगर मिलों को अतिरिक्त आय कैसे बढ़े,  मिलों की क्षमता बढ़ाने, एथनॉल प्लांट लगाने जैसी विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहे हैं।

सीएम के अनुसारअभी गन्ने से चीनी की रिकवरी भी करीब 9 से 10 प्रतिशत है। मार्केट में चीनी का रेट भी काफी कम रहा। सीएम ने कहा कि नारायणगढ़ शुगर मिल बंद होने के कगार पर है, उन्होंने सरकार को मिल टेकओवर करने का आग्रह भी किया है। लेकिन हम उसके वित्तीय हालात की समीक्षा कर रहे हैं। वहां भी मार्च तक किसानों के गन्ने की बकाया पेमेंट क्लीयर कर दी जाएगी। सीएम के अनुसार ऐसा नहीं है कि हम गन्ने का रेट नहीं बढ़ाना चाहते, भविष्य में हालात के मद्देनजर रेट जरूर बढ़ेंगे। वैसे भी आज पूरे हिंदुस्तान में किसानों को सबसे ज्यादा गन्ने का रेट हरियाणा ही दे रहा है।



सरकारों ने बढ़ाकर घटाए भी हैं गन्ने के रेट


वर्ष 1975-76 से वर्ष 2019-20 तक गन्ने के प्रति क्विंटल रेट बढ़ोतरी की समीक्षा करें, तो कई साल ऐसे भी रहें, जब सरकारों ने गन्ने के रेट कम भी किए हैं। ऐसा पूर्व सीएम भजनलाल सरकार के कार्यकाल में हुआ था। वर्ष 1975 गन्ने की अगेती वैराइटी का रेट 13 रुपये प्रति क्विंटल था। वर्ष 1977 में तत्कालीन सरकार ने इसे 50 पैसे बढ़ाकर 13.50 रुपये किया गया। वर्ष 1978 में 17.65 रुपये हुआ और फिर वर्ष 1980 में इसे बढ़ाकर 26 रुपये किया गया। लेकिन 1982 में रेट 26 से घटाकर 22 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।

1983 में रेट 23 रुपये, 1984 में 24 रुपये, वर्ष 1985 में 27 रुपये, वर्ष 1986 में 28 रुपये, वर्ष 1987 में 32 रुपये, वर्ष 1988 में 35 रुपये, वर्ष 1989 में 40 रुपये, वर्ष 1990 में 45 रुपये, वर्ष 1991 में 49 रुपये, वर्ष 1992 में 50, 1993 में 60, 1994 में 70, 1995 में 75, 1996 में 80, 1997 में 82, 1998 में 95, 1999 में 110, वर्ष 2004 में 117 रुपये, 2005 में 135, 2006 में 138, 2008 में 170, 2009 में 210, 2010 में 220, 2011 में 231, 2012 में 276, 2013 में 301, 2014  में 310, वर्ष 2016 में 320, 2017 में 330, वर्ष 2018 में 340 रुपये प्रति क्विंटल किया गया।

उसके बाद से प्रदेश में गन्ने का रेट नहीं बढ़ा। वर्ष 2017 में गन्ने की मीडियम वैराइटी का रेट भी 315 से बढ़ाकर 325 रुपये प्रति क्विंटल किया गया थ। मीडियम वैराइटी के इस रेट की शुरुआत भी 14.65 रुपये प्रति क्विंटल से हुई थी। मगर वर्ष 2017 के बाद से इस वैराइटी का रेट भी नहीं बढ़ाया गया।


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