प्रदेश सरकार एक ओर राजस्व प्राप्ति के लिए शराब के ठेकों की संख्या बढ़ा रही है, वहीं दूसरी ओर शराब की लत लोगों को असमय मौत के गर्त में धकेल रही है। शराबी की पहले नौकरी जा रही है। फिर घर-बार भी छूट रहा है। श्रीनगर और आसपास के क्षेत्र में ऐसे कई केस हो चुके हैं। शराब की वजह से 40 साल से कम उम्र के कई युवाओं की मौत हो चुकी है। मौत की वजह शराब की वजह से लीवर खत्म या कैंसर होना रहा है। या फिर इतनी शराब पी ली कि फिर कोई होश ही नहीं रहा। पढ़िए कुछ मामले...
केस 1 :
शहर के एक युवा को 14-15 साल से शराब पीने की लत लग गई। पूरे पैसे नहीं मिलने पर उसने फ्ल्यूड व भांग का नशा भी शुरू कर दिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक फाइव स्टार होटल में अच्छी-खासी नौकरी करने लगा। पढ़ाई-लिखाई में अव्वल युवा को बचपन से अंग्रेजी में कविता लिखने का शौक था। घर के इकलौते चिराग की मां (पिता का देहांत हो चुका था) ने उसकी शादी करा दी, लेकिन शराब की लत ने नौकरी छुड़वा दी। बाद में पत्नी भी छोड़कर चली गई। एक दिन वह नशे की हालत में पानी में गिर गया। होश इतना भी नहीं था कि उठ पाए। नतीजन 32 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।
केस 2:
प्रतिभावान जॉन (बदला हुआ नाम) प्रतिष्ठित दवा कंपनी में काम करता था। अपने हाजिरजवाब व्यवहार के बलबूते वह कंपनी को लाखों का बिजनेस देने लगा, लेकिन शराब की लत ऐसी लगी कि नौकरी छूट गई। पत्नी भी मायके चली गई। सारा बैंक बैलेंस खत्म होने पर वह अपने दोस्तों और नाते-रिश्तेदारों से किसी न किसी बहाने पर रुपये मांगने लगा। नशे की हालत में एक रात रास्ते से नीचे ऐसा गिरा कि फिर कभी उठ नहीं पाया।
केस 3:
लगभग डेढ़ साल पहले बेस अस्पताल में एक घायल व्यक्ति आया। उसकी गर्दन में धारदार हथियार से वार किया गया था। डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से उसकी जान बचाई। उक्त व्यक्ति का कहना था कि किसी ने उसकी गर्दन काट कर मारने की कोशिश की। उसकी शिकायत पर रिपोर्ट भी दर्ज हुई, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि उसने खुद ही नशे में अपनी गर्दन पर धारदार हथियार चला दिया था।
केस 1 :
शहर के एक युवा को 14-15 साल से शराब पीने की लत लग गई। पूरे पैसे नहीं मिलने पर उसने फ्ल्यूड व भांग का नशा भी शुरू कर दिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक फाइव स्टार होटल में अच्छी-खासी नौकरी करने लगा। पढ़ाई-लिखाई में अव्वल युवा को बचपन से अंग्रेजी में कविता लिखने का शौक था। घर के इकलौते चिराग की मां (पिता का देहांत हो चुका था) ने उसकी शादी करा दी, लेकिन शराब की लत ने नौकरी छुड़वा दी। बाद में पत्नी भी छोड़कर चली गई। एक दिन वह नशे की हालत में पानी में गिर गया। होश इतना भी नहीं था कि उठ पाए। नतीजन 32 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।
केस 2:
प्रतिभावान जॉन (बदला हुआ नाम) प्रतिष्ठित दवा कंपनी में काम करता था। अपने हाजिरजवाब व्यवहार के बलबूते वह कंपनी को लाखों का बिजनेस देने लगा, लेकिन शराब की लत ऐसी लगी कि नौकरी छूट गई। पत्नी भी मायके चली गई। सारा बैंक बैलेंस खत्म होने पर वह अपने दोस्तों और नाते-रिश्तेदारों से किसी न किसी बहाने पर रुपये मांगने लगा। नशे की हालत में एक रात रास्ते से नीचे ऐसा गिरा कि फिर कभी उठ नहीं पाया।
केस 3:
लगभग डेढ़ साल पहले बेस अस्पताल में एक घायल व्यक्ति आया। उसकी गर्दन में धारदार हथियार से वार किया गया था। डॉक्टरों ने बड़ी मुश्किल से उसकी जान बचाई। उक्त व्यक्ति का कहना था कि किसी ने उसकी गर्दन काट कर मारने की कोशिश की। उसकी शिकायत पर रिपोर्ट भी दर्ज हुई, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला कि उसने खुद ही नशे में अपनी गर्दन पर धारदार हथियार चला दिया था।
औसत आयु 37.5 साल
एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि शिक्षा संकाय ने दो साल पूर्व उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के एक क्षेत्र में शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक दशा पर शोध कराया था। इसमें शराब के बारे में चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे। इसमें बेहद चिंतनीय विषय यह था कि पुरुषों की औसतन मृत्यु आयु 37.5 वर्ष (सामान्य मृत्यु आयु 50 वर्ष से ऊपर को छोड़कर) आई थी।
वजह शराब की वजह से बीमारी लगना था। विवि के गेस्ट शिक्षक आशु रौलेट ने चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में परिवारों के सामाजिक स्तर का अध्ययन किया। शोध के अनुसार, पिछले 25 वर्षों में 50 फीसदी लोगों की मृत्यु घर में बनाए जाने वाली पारंपरिक शराब (कच्ची शराब) से हुई हैं।
किसी घर में शराब के सेवन से 35 साल में तो किसी घर में 40 साल में घर के कमाऊ सदस्य की मौत हो गई। इस वर्ग में सिर्फ तीन फीसदी ही ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। 21 फीसदी ने प्राथमिक और 18 फीसदी ने माध्यमिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी। शराब पीने से कमाऊ सदस्य की असामयिक मौत ने इनकी पढ़ाई छुड़ा दी। आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को पढ़ाई छोड़ व्यवसाय करना पड़ा।
भले-बुरे की पहचान खत्म कर देती है शराब
शराब मनुष्य के शरीर, स्नायु तंत्र और दिमाग को लगभग खोखला कर देती है। राजकीय संयुक्त अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डा. लोकेश सलूजा बताते हैं कि शराब की ओवरडोज व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर कर देती है। शराब दिमाग के नियंत्रण केंद्र पर एक तरह से कब्जा कर देती है, जिससे शराबी को भले-बुरे का पता नहीं चलता।
ओवरजजमेंट की वजह से शराबी दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। जबकि अस्पताल के वरिष्ठ निश्चेतक डा. आनंद राणा बताते हैं कि ज्यादा मात्रा में शराब के सेवन से मनुष्य कोमा की हालत में चला जाता है। वह कहते हैं कि शराब के लगातार सेवन से लीवर सिरोयसिस (गांठ बनना) हो जाता है। यानी लीवर की कोशिकाएं खत्म होने लगती हैं। शराब के सेवन से अल्सर, लीवर व पेट का कैंसर, गले का कैसर, शुगर और नशों में कमजोरी होने लगती है। यदि मनुष्य समय पर नहीं संभले, तो मौत हो जाती है।
वजह शराब की वजह से बीमारी लगना था। विवि के गेस्ट शिक्षक आशु रौलेट ने चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में परिवारों के सामाजिक स्तर का अध्ययन किया। शोध के अनुसार, पिछले 25 वर्षों में 50 फीसदी लोगों की मृत्यु घर में बनाए जाने वाली पारंपरिक शराब (कच्ची शराब) से हुई हैं।
किसी घर में शराब के सेवन से 35 साल में तो किसी घर में 40 साल में घर के कमाऊ सदस्य की मौत हो गई। इस वर्ग में सिर्फ तीन फीसदी ही ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं। 21 फीसदी ने प्राथमिक और 18 फीसदी ने माध्यमिक के बाद पढ़ाई छोड़ दी। शराब पीने से कमाऊ सदस्य की असामयिक मौत ने इनकी पढ़ाई छुड़ा दी। आर्थिक स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को पढ़ाई छोड़ व्यवसाय करना पड़ा।
भले-बुरे की पहचान खत्म कर देती है शराब
शराब मनुष्य के शरीर, स्नायु तंत्र और दिमाग को लगभग खोखला कर देती है। राजकीय संयुक्त अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डा. लोकेश सलूजा बताते हैं कि शराब की ओवरडोज व्यक्ति के सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर कर देती है। शराब दिमाग के नियंत्रण केंद्र पर एक तरह से कब्जा कर देती है, जिससे शराबी को भले-बुरे का पता नहीं चलता।
ओवरजजमेंट की वजह से शराबी दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। जबकि अस्पताल के वरिष्ठ निश्चेतक डा. आनंद राणा बताते हैं कि ज्यादा मात्रा में शराब के सेवन से मनुष्य कोमा की हालत में चला जाता है। वह कहते हैं कि शराब के लगातार सेवन से लीवर सिरोयसिस (गांठ बनना) हो जाता है। यानी लीवर की कोशिकाएं खत्म होने लगती हैं। शराब के सेवन से अल्सर, लीवर व पेट का कैंसर, गले का कैसर, शुगर और नशों में कमजोरी होने लगती है। यदि मनुष्य समय पर नहीं संभले, तो मौत हो जाती है।